About the Author:
अल्फोन्स दौडेट एक फ्रेंच उपन्यासकार था। इनका जन्म 13 मई 1840 में हुआ था और इनकी मृत्य 16 दिसंबर 1897 में हुई। उनके कुछ प्रसिद्ध कार्यों में तीन टार्टारिन एवेन्चर प्रोडिगियस डी टार्टारिन डी तारसकोन,और तीन-कार्य खेलने वाले एल’एर्लेसेन शामिल हैं। उनकी रचनात्मकता के परिणामस्वरूप उनके कार्यों में वास्तविक देखि जा सकती है। उनके अन्य काम में जैक, एक गैरकानूनी बच्चे के बारे में एक उपन्यास, अपनी मां की स्वार्थीता के लिए एक शहीद शामिल है, जो 1876 में हुआ, केवल उसी प्रभाव को गहरा करने के लिए सेवा प्रदान करता था।
Summary of The Last Lesson in Hindi:
कहानी युवा फ्रांज के साथ शुरू होती है, जिसे एक सुबह स्कूल के लिए देर हो है। फ्रांज़ स्कूल जाने में दर रहे थे क्युकी उन्होंने अपना होमवर्क नहीं किया था जो की उनके शिक्षक ने उन्हें दिया था। वह पक्षियों एवं सैनिको की ट्रेनिंग देखने में गुम सा हो गया था। परन्तु जैसे तैसे वह स्कूल पहुँच जाता है। स्कूल जाने के दौरान उन्हें टाउन हॉल पास करना पड़ता है और वे बुलेटिन बोर्ड के सामने भीड़ को देखते हैं। यह देखकर वे तुरंत अतीत में हुई घटनाओं को याद करते हैं जब बुलेटिन बोर्ड उन्हें केवल बुरी खबरें दिया करती थी जैसे युद्ध हारना इत्यादि। और जब लेखक स्कूल पहुँचता है तो उसे बहुत आश्चर्य होता है की आम दिनों के सामान आज स्कूल से कोई आवाजे नहीं आ रही थी। बल्कि सब कुछ एक रविवार की सुबह के रूप में शांत था। जब फ्रांज अंततः कक्षा में पहुंचे, तो उन्होंने अपने सभी सहपाठि अपने स्थानों पर बैठे दिखाई देते हैं, जबकि शिक्षक अपने हाथ में स्केल लेकर घूमते हुए नजर आते हैं। और यह देखकर वे कक्षा के अंदर जाने से डरने लगते हैं परन्तु शिक्षक उन्हें बिना दाते बहुत प्यार से अंदर आने की अनुमति देते हैं एवं अपने स्थान पर बैठने बोलते हैं।
जब वह अपनी मेज पर बैठ गया तो उसने अचानक अपने शिक्षक के कपड़े को देखा। वह औपचारिक रूप से अपने “खूबसूरत हरे रंग के कोट”, उसकी फ्रिल्ड शर्ट और उसके काले रेशम कढ़ाई टोपी पहने हुए थे, जिसे उन्होंने केवल निरीक्षण और पुरस्कार के दिनों में पहना था। यह देखकर लेखक को अस्चर्य हुआ। और जब उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो वह गांव के लोग पूर्व मेयर, पूर्व पोस्टमास्टर और कई अन्य लोग बैठे हुए थे। फ्रांज कुछ भी समझने में असमर्थ था क्योंकि दिन के बारे में सबकुछ असामान्य था। वह सोच रहा था कि क्या हो रहा है और तभी शिक्षक यह घोसणा है की आज आखरी बार स्कूलों में फ्रेंच पढ़ाया जायेगा क्युकी सरकार ने केवल जर्मन सिखने का आदेश दिया है। यह खबर सुनकर लेखक दुखी हो जाता है क्युकी अभी तक उन्होंने फ्रेंच ठीक से सीखा नहीं था और फ्रांसीसी किताबें जो बोझ लगती थी अब अचानक कुछ ऐसी चीज बन गई जो हारने के लिए बहुत ही मूल्यवान थी। हालांकि एम हेमल एक सख्त शिक्षक थे, फिर भी उन्हें अब फिर से न देख पाने का विचार फ्रांज को उदास कर देता है।
अब सब कुछ उन्हें समझ में आया। उन्हें एहसास हुआ कि एम हामेल अपने औपचारिक कपड़े क्यों पहने हुए थे। और क्यों गांव के बूढ़े लोग कमरे के पीछे इकट्ठे हुए थे। उनकी उपस्थिति चालीस वर्षों तक अपनी निःस्वार्थ और वफादार सेवा के लिए गुरु को श्रद्धांजलि थी।
और जब शिक्षक ने उनसे होमवर्क बताने को कहा तो बहुत चाहने के बाद भी बेचैनी में वे सब गलत कर देते हैं। और इस गलती पर शिक्षक उन्हें डाटने के बाजए समझाते हैं की यह इसीलिए हुआ की हम हमेसा आज की पढ़ाई को कल के लिए टाल देते हैं और जिसके वजह से हम पढ़ नहीं पाते। और ऐसे ही समय बित जाता है और हम जवाब नहीं दे पाते। उसके बाद उन्हें इस बात से दुःख होता है की लेखक स्वयं फ्रांसीसी होने के बावजूद भी न ही ठीक से फ्रेंच लिख पाता है और न ही पढ़ पाता है। वह केवल बालको की गलती नहीं समझता बल्कि वह उनके माता पिता की गलती भी मानता है जो की अपने बच्चों की पढ़ाई में ध्यान नहीं देते। और वे खुद को भी दोसी मानते हैं की उंहोने ठीक तरह से छात्रों को समय नहीं दिया।
हैमेल फ्रांसीसी भाषा का वर्णन दुनिया की सबसे स्पष्ट और सबसे तर्क सांगत भाषा के रूप में करता है। उन्होंने महसूस किया कि लोगों को हमेशा अपनी भाषा सीखनी चाहिए क्योंकि उनका मानना है कि जब लोग दास होते हैं, तो यह उनकी भाषा के माध्यम से जेल की कुंजी पा सकते हैं। जब हमें कैद किया जाता है, तो वे सबसे अधिक आजादी का आनंद ले सकते हैं जो हमारी भाषा में बोलने या लिखने में है। एम हैमेल ने उन्हें आखिरी बार व्याकरण सिखाया। अपने आश्चर्य के लिए, पहली बार फ्रांजा सबकुछ समझ गया। तथ्य यह है कि वह अब कभी फ्रेंच सीखने वाला नहीं था, इसलिए उन्होंने एम हैमेल को बहुत ध्यान से सुना। एम हैमेल ने बहुत धैर्य के साथ सब कुछ समझाया, ऐसा लगता है कि वह एक ही समय में फ्रांसीसी भाषा के बारे में जो कुछ जानते थे, उसे समझाना चाहते थे। वह जाने से पहले अपने छात्रों को अपना पूरा ज्ञान देना चाहते थे।
व्याकरण सीखने के बाद लेखन भी सिखाया जा रहा था और पुरे क्लास में केवल कलम चलने की आवाज आती है। और इसी बिच लेखक को कबूतर की गुटरगूँ सुनाई देती हैं जिसे सुनकर लेखक सोच में बैठ जाता है की अब क्या इन्हे भी जर्मन में गुटरगूं करना होगा।
जैसे ही फ्रांज ने देखा, एम हेमेल बेकार बैठे थे। उन्होंने समय-समय पर कमरे में चरों तरफ अपनी नज़र दौड़ाई। ऐसा लगता है कि वह अपने दिमाग में स्कूल के कमरे की तस्वीर बनाना चाहते थे। वह पिछले चालीस वर्षों से वहां रह रहे थे और अब उन्हें देश छोड़ने के लिए कहा गया था। यह उनके जीवन में एक कठिन समय था और फिर भी वह बहुत साहस के साथ आखिरी पल तक पढ़ाने के लिए दृढ़ थे।
और पढ़ाते पढ़ाते उनकी आवाज भावनाओं के कारन लड़खड़ाने लगी। और अंततः क्लास ख़त्म होने का वक्त आ गया हेमेल खड़े हुए अपने आखिरी सब्द कहने के लिए लेकिन वे कह नहीं पाए और उनके आँखों से आंसू आ गए। और कुछ कहे ब्लैक बोर्ड में “ Vive La France” लिख दिया।
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