क्या हमने कभी यह सोचा है कि हमने अपना बचपन कहाँ खो दिया है? Norwegian कवि Markus Natten, का भी यही सवाल है। उनका मानना है कि उन्होंने अपने बचपन की मासूमियत और शुद्धता को कुछ अज्ञात और अविस्मरणीय जगह खो दिया है। अपनी कविता “childhood” के माध्यम से, कवि ने पाठकों के सामने यह सवाल रखा है की हमने अपना बचपन कहाँ खो दिया है? और इसका उत्तर हमें खुद ही खोजना पड़ेगा।
About the Poet Markus Natten in Hindi :
Markus Natten एक Norwegian कवि थे। उनकी जन्म और मृत्यु के बारे में काफी संदेह है। उनका जन्म कब और कहाँ हुआ था इसकी जानकारी ठीक से नहीं मिल पाई है। उन्होंने अपनी पहली कविता 12 वर्ष की अवस्था में लिखी थी। वास्तव में उन्होंने इसका अनुवाद किया था। वे अपने अनुवादन में कितने अच्छे थे ये तो हमें इस कविता को पढ़ कर ही बोल सकते हैं।
Summary of Childhood by Markus Natten in Hindi :
कवि यह जानने के लिए उत्सुक है कि कब उन्होंने अपना बचपन खो दिया। वह अपने प्रश्न का उत्तर जानने का प्रयास करता है। उनका मानना है कि शायद वह उस दिन था जब उन्होंने स्वर्ग और नर्क के सिद्धांतों की खोज की थी और भूगोल ने उसे ऐसी जगह के अस्तित्व के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। शिक्षा ने कवि के दुनिया देखने का नज़रिया बदल दिया अब वह दुनिया को तर्क के आधार पर देखता है। कवि का मानना है कि शायद उन्होंने अपना बचपन तब खोया था, जब उन्होंने अपने आस-पास की चीजों को तर्कसंगत सोच के साथ देखना शुरु किया था।
दूसरे स्टैंज़ा में कवि कहता है की जो वयस्क है समाज में उसके अगल बगल, वो कहते कुछ और हैं और करते कुछ और। वे दुसरो को सिखाते हैं प्यार मुहब्बत से रहना परन्तु खुद हिंसावादी और स्वार्थी होते हैं। और यही देख कर बच्चों का बड़ो पर से भरोसा उठ जाता है। और कवि को ऐसा प्रतीत होता है की यही वो घटना है जिसने उन्हें अपना बचपन खोने में मजबूर कर दिया।
कवि जब बढ़ा हो रहा होता है, तो उसे पता चलता है कि उसका दिमाग शक्तिशाली है और यह अपने निर्णय स्वयं लेता है। अपनी खुद की राय और विचारों ने उसे दूसरों के पक्षपाती विचारों से स्वतंत्रता प्राप्त करा दी है। यह वह क्षण था जब वह सोचता है कि उनकी व्यक्तित्व और अनुभवों ने उनके बचपन को दूर कर दिया।
अंत में कवि अपने प्रश्न “कब उन्होंने अपना बचपन खो दिया” को बदलकर “कहाँ उन्होंने अपना बचपन खो दिया” कर देता है। अब इसका उत्तर कवि को आसानी से मिल जाता है। Markus Natten का कहना है कि उनका बचपन कुछ forgotten place में छिपा हुआ है। जो की एक शिशु के चेहरे में पाया जा सकता है। अंततः यह कहा जा सकता है की बचपन एक खोई हुई स्मृति है जिसे हम सिर्फ याद कर सकते हैं दुबारा जी नहीं सकते।
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