Summary of My Mother at Sixty Six in Hindi by Kamala Das: 2022

कमला दास द्वारा रचित “My Mother at Sixty Six” 1999 में प्रकाशित हुई थी। इस कविता में पोएट के माता पिता की घर से एयरपोर्ट तक की यात्रा का वर्णन है। और इसी यात्रा के दौरान उन्हें अचानक यह अहसास होता है की उनकी माता कितनी बूढ़ी हो चुकी है। और वह आज नहीं तो कल कैसे मारेंगी।

About the Poet Kamala Das in Hindi :

कमला दास का जन्म 31 मार्च 1934 को केरल के त्रिशूर में हुआ था। 1999 में इस्लाम के रूपांतरण के बाद भी कमला सुरैया के नाम से भी उन्हें जाना जाता है। उन्होंने अपने बचपन का अधिकांश समय कलाकारों के एक परिवार में कलकत्ता में बिताए थे, जहां वे अकेलापन महसूस करती थी। उसकी किशोरावस्था में एक बड़े रिश्तेदार से शादी की, और उस असहज रिश्ते से पैदा होने वाली भावनात्मक और यौन समस्याओं और उसकी युवा मातृत्व ने उनकी बहुत सारी कविता के लिए सामग्री प्रदान की।
उसने अंग्रेजी और उसके मूल मलयालम दोनों में कविता, लघु कथाएँ, उपन्यास और आत्मकथाएं लिखीं। मलयालम में उनके अधिकांश लेखन ‘माधवििकट्टी’ के तहत लिखे गए थे। उसने घरेलू और यौन उत्पीड़न के खिलाफ महिलाओं को यौन इच्छाओं और वैवाहिक समस्याओं के अपने ईमानदार आकलन के साथ 20 से अधिक पुस्तकों में संघर्ष किया।
उनकी सबसे अच्छी ज्ञात कविताएं हैं “एक परिचय” और “निमंत्रण” 1985 में उन्होंने साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता और उसके एक साल पहले ही नोबेल पुरस्कार के लिए उनका नाम अंकित किया गया था। 31 मई 2009 को उनकी मृत्यु हो गई।

Summary of My Mother at Sixty Six by Kamala Das in Hindi :

कविता में कुल 20 लाइनें हैं। इन पंक्तियों को स्टैंज़ा में विभाजित नहीं किया गया है यहां कविता को आसान और समझने के लिए उन्हें सार्थक खंडों में विभाजित किया गया है।

Lines 1 – 4:

Driving from my parent’s

home to Cochin last Friday

morning, I saw my mother,

beside me,

इन पंक्तियों में, कवि पिछले हफ्ते अपने माता-पिता के घर में अपनी  छुट्टी बिताने के बाद कोचिन के लिए वापस यात्रा कोयाद करते हैं। उस दिन शुक्रवार था, और उस सुबह, वह अपनी मां के साथ आगे की सीट पर बैठी गाड़ी चला रही थी।

Lines 5 – 10:

doze, open mouthed, her face

ashen like that

of a corpse and realised with pain

that she was as old as she

looked but soon

put that thought away, and

इन पंक्तियों में, कवि कहते हैं कि वह अपनी मां को देख रही थी, जो आगे के सीट पर सो रही थीं, उनका  मुंह थोड़ा सा खुला था। उसकी मां का चेहरा पीला दिख रहा था, और यह कवि को  मृत शरीर के लगभग सफेद चेहरे की याद दिला रहा था। और इसी वजह से उन्हें यह महसूस होता है कि उसकी मां अब युवा नहीं रही, वो समय के साथ बूढ़ी हो चुकी थी। जो की उनके चेहरे से साफ़ झलक रहा था। परन्तु  कवि को यह स्वीकार करने में  बहुत मुश्किल हो रही थी, और इसलिए वह अपना ध्यान कहीं और केंद्रित करना चाह रही थी।

Lines 11 – 15:

looked out at Young

Trees sprinting, the merry children spilling

out of their homes, but after the airport’s

security check, standing a few yards

away, I looked again at her, wan, pale

इन पंक्तियों में, कवि कहते हैं कि उन्होंने अपनी बूढ़ी हो चुकी माँ से अपना धयान हटाकर अपने गाडी की खिड़की से बहार देखने लगी। उनकी आँखे उन वृक्षों पर पड़ रही थी जिन्हे उनकी गाडी पीछे छोड़ती हुई चली जा रही थी। कार इतनी तेज़ी से आगे बढ़ रही थी कि relative motion के माध्यम से, कवि को ऐसा लग रहा था कि वह जो भी पेड़ देख रही हैं वह भी पूरी गति से पीछे चली जा रही थीं। कवि को ऐसा लग रहा था कि उन पेड़ों की उम्र काफी कम होनी चाहिए, अगर उनके पास इतनी तीव्र गति से चलने की शक्ति होती है। कवि की आँखें उन बच्चों पर भी पड़ती हैं जो अपने घरो से बड़े उत्साह से खेलने की लिए बहार निकल रहे थे। कवि ने इन सभी जगहों को पार करते हुए हवाई अड्डे तक पहुंच जाती है और तब तक तो उनका ध्यान इन दृश्यों से भटका हुआ था। परन्तु फिर सुरक्षा जांच के बाद जब वह अपने माँ के बिलकुल सामने खड़े होकर उन्हें देखती है। तो उन्हें फिर से अपनी माँ बहुत ही बूढ़ी और कमजोर दिखाई देती है।

Lines 16 – 20:

as a late winter’s moon and felt that old

familiar ache, my childhood’s fear,

but all I said was, see you soon, Amma,

all I did was smile and smile and

smile……

इन पंकितयों में कवि अपनी माँ की तुलना उस चाँद से करता है जो सर्दियों की अंतिम दिनों में रात में दिखाई पड़ता है। इससे उन्हें बचपन के दौरान सबसे ज्यादा डर लगने वाली बात याद आ जाती है। और उनका डर है कि उसकी मां एक दिन मर जाएगी। यह भय उन्हें पहले भी कई बार तकलीफ पहुंचा चूका था और अभी भी तकलीफ दे रहा था। लेकिन वह अपने भय को दिखाना नहीं चाह रही थी। और उन्होंने बहुत ही साहस के साथ अपनी माँ को अलविदा कहती है। और वे अपनी माँ को यह अस्वासन देती है की वह फिर उनसे जल्द ही मिलने आएँगी। और इस पुरे वार्तालाप के दौरान जबकि वह अंदर ही अंदर बहुत ही तकलीफ में थी इसके बाउजूद भी उनकी चेहरे में खुसी झलक रही थी।

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