कक्षा – 10 ‘अ’ क्षितिज भाग 2 पाठ 7
छाया मत छूना- गिरिजाकुमार माथुर
छाया मत छूना कविता का सारांश :
सारांश :- प्रस्तुत पंक्ति “छाया मत छूना” में कवि गिरिजाकुमार माथुर जी ने हमें यह सन्देश देने की कोशिश की है की हमें अपने अतीत के सुखों को याद कर अपने वर्तमान के दुःख को और गहरा नहीं करना चाहिए। अर्थात वयक्ति को अपने अतीत की कल्पनाओं में डूबे न रहकर वर्तमान की स्थिति का डट कर सामना करना चाहिए और अपने भविष्य को उज्जवल बनाना चाहिए। कवि हमें यह बताना चाहता है की इस जीवन में सुख और दुःख दोनों ही हमें सहन करने पड़ेंगे क्यूंकि उनके अनुसार हर सुख और अगर हम दुःख से व्याकुल होकर अपने अतीत में बिताए हुए सुनदर दिन या सुखों को याद करते रहेंगे तो हमारा दुःख कम होने की बजाय और बढ़ जायेगा एवं हमारा भविष्य भी अंधकारमय हो जायेगा। इसलिए हमें अपने वर्तमान में आने वाले दुखों को सहन कर भविष्य को उज्जवल बनाने का प्रयास करना चाहिए।
छाया मत छूना कविता का भावार्थ – Summary of Chaya Mat Chuna in Hindi
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।
जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी
छवियों की चित्र-गंध फैली मनभावनी;
तन-सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी,
कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी।
भूली सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।
भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि अपने छाया मत छूना अर्थात अतीत की पुरानी यादों में जीने के लिए मना कर रहा है। क्यूंकि कवि के अनुसार जब हम अपनी अतीत के बीते हुए सुनहरे पालों को याद करते हैं तो वो होते तो बहुत ही मीठे हैं परन्तु जैसे ही हम यादों को भूलकर वास्तविक समाज में वापस आते हैं तो हमें उनके अभाव का ज्ञात होता है और इस तरह हृदय में छुपे हुए घाव फिर से हरे हो जाते हैं और हमारा दुःख बढ़ जाता है।
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि अपने पुरानी मीठे पलो को याद कर रहा है। और ये सारी यादें उनके सामने रंग बिरंगे छवियों की तरह प्रकट हो रही है जिनके साथ उनकी सुगंध भी है। और कवि को अपने प्रिय की तन की सुगंध भी महसूस होती है। यह चांदनी रात का चन्द्रमा कवि को अपने प्रिय के बालो में लगे फूल की याद दिला रहा हैं। इस प्रकार हर जीवित छण जो हम जी रहे हैं वो पुरानी यादों रूपी छवि में बदलता जाता है। जिसे याद करके हमें केवल दुःख ही प्राप्त हो सकता है इसलिए कवि कहते हैं छाया मत छूना होगा दुःख दूना।
यश है या न वैभव है, मान है न सरमाया;
जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया।
प्रभुता का शरण बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।
भावार्थ :- इन प्रस्तुत पंक्तियों में कवि हमें यह सन्देश देना चाहता है की इस संसार में धन, ख्याति, मान, सम्मान इत्यादि के पीछे भागना व्यर्थ है। यह सब एक भ्रम की तरह है।
कवि का मानना यह है की हम अपने जीवन काल में धन, यश, ख्याति इन सब के पीछे भागते रहते हैं और खुद को बड़ा और मशहूर समझते हैं लेकिन जैसे हर चांदनी रात के बाद एक काली रात आती है उसी तरह सुख के बाद दुःख भी अाता है। कवि ने इन सारी भावनाओं को छाया बताया है। और हमें यह सन्देश दिया है की इन छायाओं के पीछे भागने में अपना समय व्यर्थ करने से अच्छा है हम वास्तिक जीवन के कठोर सच्चाइयों का सामना डट कर करें। यदि हम वास्तविक जीवन की कठिनाइयों के रूबरू होकर चलेंगे तो हमें इन छायाओं के दूर चले जाने से दुःख का सामना नहीं करना पड़ेगा। और अगर हम ये धन, वैभव, सुख-समृद्धि इत्यादि के पीछे भागते रहेंगे तो इनके चले जाने से मनुष्य का दुःख और बढ़ जायेगा।
दुविधा हत साहस है, दिखता है पंथ नहीं,
देह सुखी हो पर मन के दुख का अंत नहीं।
दुख है न चाँद खिला शरद-रात आने पर,
क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?
जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण,
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।
भावार्थ :- कवि कहता है की आज के इस युग में मनुष्य अपने कर्म पथ पर चलते चलते जब रास्ता भटक जाता है और उसे जब आगे का रास्ता दिखाई नहीं देता तो वह अपना साहस खो बैठता है। कवि का मानना है की इंसान को कितनी भी सुख सुविधाएं मिल जाए वो कभी खुस नहीं रह सकता अर्थात वह बहार से तो सुखी दीखता है पर उसका मन कोई न कोई कारण निकाल ही लेता जिससे उसका अन्तःमन दुखी हो जाता है। कवि के अनुसार हमारा सरीर कितना भी सुखी हो परन्तु हमारी आत्मा की दुखो की कोई सिमा नहीं है। हम तो अपने आप किसी भी छोटी सी बात पर खुद को दुखी कर के बैठ जाते हैं। फिर चाहे वो सरद ऋतू के आने पर चाँद का ना खिलना हो या फिर वसंत ऋतू के चले जाने पर फूलो का खिलना हो। और हम इन सब चीजों के विलाप में खुद को दुखी कर बैठते हैं।
इसलिए कवि ने हमें यह सन्देश दिया है की जो चीज हमें ना मिले या फिर जो चीज हमारे बस में न हो उसके लिए खुद को दुखी करके चुपचाप बैठे रहना कोई समाधान नहीं हैं, बल्कि हमें यथार्त के कठिन परिस्थितियों का डट कर सामना करना चाहिए एवं एक उज्जवल भविष्य की कल्पना करनी चाहिए।
Some online learning platforms provide certifications, while others are designed to simply grow your skills in your personal and professional life. Including Masterclass and Coursera, here are our recommendations for the best online learning platforms you can sign up for today.
The 7 Best Online Learning Platforms of 2022
- Best Overall: Coursera
- Best for Niche Topics: Udemy
- Best for Creative Fields: Skillshare
- Best for Celebrity Lessons: MasterClass
- Best for STEM: EdX
- Best for Career Building: Udacity
- Best for Data Learning: Pluralsight