वाख- ललघद (Waakh by Lalghad): 2022

कक्षा – 9 ‘अ’ क्षितिज भाग 1 पाठ 1

       वाख – ललघद

 
वाख कविता का सारांश :

अपने प्रस्तुत वाखों जिसका अनुवाद मीरा कान्त जी ने किया है, में ललघद हमें यह कहना चाह रही है की इस्वर को ढूंढ़ने के लिए मंदिर मस्जिद घूम कर कोई फायदा नहीं होगा। अगर कोई सच्चे हृदय से अपने अंतःकरण की और झांकेगा तो ही वह इस्वर को प्राप्त कर सकता है। ललघद के अनुसार एक मात्र आत्मज्ञान ही सच्चा ज्ञान है जो हमें इस आडम्बरो से भरे समाज रूपी नदी में डूबने से बचा सकता है। उन्होंने धार्मिक तथा अन्य भेदभाव का विरोध किया है और इस्वर को एक बताया है। उनके अनुसार सद्कर्म के द्वारा ही हम इस मायाजाल से मुक्त हो सकते हैं। कवित्री के अनुसार हम सद्कर्म तभी कर सकते हैं जब हम अपने अंदर बसे अहंकार से मुक्त हो पाएंगे।

 

ललद्यद वाख का भावार्थ – वाख Summary in Hindi :-

 
रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव।
जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार।
पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे।
जी में उठती रह-रह हूक,घर जाने की चाह है घेरे।।

भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने संसार रूपी सागर का वर्णन किया है जिसमे उनके द्वारा किये जाने वाले प्रयास जिनसे वे परमात्मा के निकट जा सके उन्हें उन्होंने कच्चे धागे से खींचने वाले नाव के रूप में बताया है। उन्होंने कच्चे धागे का प्रयोग इसलिए किया है की मनुष्य कुछ समय के लिए ही इस धरती पर रहता है उसके बाद उसे अपना शरीर त्यागना पड़ता है। कवयित्री इस प्रतीक्षा में है की कब प्रभु उनकी पुकार सुनेंगे और इस संसार रूपी सागर से उनका बेड़ा पार लगाएंगे।

धीरे धीरे समय निकलता जा रहा है पर कवयित्री द्वारा प्रभु मिलन के लिए किये गए सारे प्रयास व्यर्थ हो जा रहे हैं। अब उन्हें ऐसा लग रहा है की समय खत्म होने वाला है अर्थात मृत्यु समीप है और अब सायद वो प्रभु से मिल नहीं पाएंगी इसलिए उनका हृदय तड़प रहा है। वो प्रभु से मिलकर उनके घर जाना चाहती हैं अर्थात उनकी भक्ति में लीन हो जाना चाहती हैं।

 
खा खा कर कुछ पाएगा नहीं,
न खाकर बनेगा अहंकारी।
सम खा तभी होगा समभावी,
खुलेगी साँकल बन्द द्वार की।

भावार्थ :- अपने इन पंक्तियों में कवयित्री कहती है की कई बार हम ज्ञान (अर्थात प्रभु भक्ति) के प्राप्ति के लिए सांसारिक मोह माया को छोड़कर त्याग और तपस्या में लग जाते हैं। परन्तु कवयित्री के अनुसार यह रास्ता भी गलत है। क्यूंकि जब हम सांसारिक भोग लिप्सा में तृप्त रहते हैं तब तो हम सच्चे ज्ञान से दूर रहते ही हैं, इसके विपरीत जब हम त्याग और तपस्या में लीन हो जाते हैं तब हमारे अंदर अहंकार रूपी अज्ञान आ जाता है जिसके द्वारा हम सच्चे ज्ञान की प्राप्ति नहीं कर पाते। इसीलिए कवयित्री हमें बिच का मार्ग अपनाने के लिए कह रह रही जिनसे हमारे अंदर भोग लिप्सा भी नहीं होगी और न ही अहंकार हमारे अंदर पनप पायेगा। और तभी हमारे अंदर समानता की भावना रह पायेगी इसके उपरांत ही हम प्रभु भक्ति में सच्चे मन से लीन हो सकते हैं।  

 
आई सीधी राह से, गई न सीधी राह।
सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह!
ज़ेब टटोली कौड़ी ना पाई।
माझी को दूँ, क्या उतराई ?

भावार्थ :-  अपने प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ये कहना चाहती है की अपने जीवन के सुरुवात में उन्होंने इस्वर की प्राप्ति के लिए सुरुवात तो किया लेकिन उसके बाद उन्हें यह नहीं समझ आया की कौन सा मार्ग सही है और कौन सा मार्ग गलत इसलिए वो राह भटक गई हैं अर्थात संसार के आडम्बरो में बहक गई। यहाँ रास्ता भटकने से मतलब है समाज में प्रभु भक्ति के लिए अपनाये जाने वाले तरीके जैसे कुंडली फेरना, जागरण करना, जप करना इत्यादि। परन्तु ये सब करने के बाद भी उनका परमात्मा से मिलन नहीं हुआ। और इसी लिए वो दुखी हो गई हैं की इतना सब कुछ जीवन भर करने के बाद भी उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ और वे खाली हाथ ही रह गई। उन्हें तो अब ये डर लग रहा है की अब वो परमात्मा को क्या जवाब देंगी।

 
थल थल में बसता है शिव ही,
भेद न कर क्या हिन्दू-मुसलमां।
ज्ञानी है तो स्वयं को जान,
यही है साहिब से पहचान।।

भावार्थ :- अपने इस पंक्ति में कवयित्री हमें भेद भाव, हिन्दू-मुस्लिम इत्यादि समाज में वयाप्त बुराइयों का बहिस्कार करने का संदेश दे रही है। उनके अनुसार शिव (ईश्वर) हर जगह बसा हुआ है चाहे वो जल हो या आकाश या फिर धरती हो या प्राणी यहाँ तक की हमारे अंदर भी ईश्वर बसा हुआ है। और वह किसी वयक्ति को ऊंच नीच, भेद-भाव की दृष्टि से नहीं देखता बल्कि वह हिन्दू-मुसलमान को एक ही नजर से देखता है।

इसलिए  कवयित्री ग्यानी पुरुषों से कह रही है की अगर तुम ग्यानी हो तो स्वयं को पहचानो क्युकी आत्म ज्ञान ही एक मात्र उपाय है जिससे हम परमात्मा को समझ सकते हैं उन्हें पहचान सकते हैं।

Whether you’re aiming to learn some new marketable skills or just want to explore a topic, online learning platforms are a great solution for learning on your own schedule. You can also complete courses quickly and save money choosing virtual classes over in-person ones. In fact, individuals learn 40% faster on digital platforms compared to in-person learning.

Some online learning platforms provide certifications, while others are designed to simply grow your skills in your personal and professional life. Including Masterclass and Coursera, here are our recommendations for the best online learning platforms you can sign up for today.

The 7 Best Online Learning Platforms of 2022

About the author

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipisicing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.

Other related Posts

You may also like